सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

ये बात तो किसी ने मुझे बताई ही नही ।

हज़ारो गुण होने के बाद भी दुनिया पानी को रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन , निर्गुण कह कर पुकारती है। नही देख सकते लोग आप के अंदर छुपा हुआ गुण कुछ ऐसा आसान सा गुण आप में होना चाहिए जो लोगों को समझ पड़े । बचपन से सिखाया गया कि एक अच्छा खिलाड़ी बनो, व्यवसाय करने की कला लाओ, चंद गणित के प्रश्न हल कर के सरकारी नोकरी पाओ, वो तो अच्छा है कि मुझे पता था की एक अच्छा इंसान भी बनना है, वरना "ये बात तो किसी ने मुझे बताई ही नही ।"

-विकास शर्मा

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रविवार, 7 अक्तूबर 2018

खुश तो वो भी कुछ खास नही है ।

उनका जीवन कठिन है क्योकि उन लोगो ने जीवन को ऐसा बना के रखा है ; मैं सरल फैसले लेता हूँ , सरल काम करता हूँ , सरल व्यक्ति हूँ, मेरा जीवन सरल है ; इसमे क्या गलत है। वो और मैं , जब दोनों अपनी अंतिम सांस ले रहे होंगे तब देखेंगे कि अपने बीते हुए जीवन से कोन कितना ज्यादा खुश है । कहने का मतलब ये है कि जीवन को सरल बनाओ । इतना कठिन नही है सब कुछ, बस जो मिल रहा है उसको सही तरह से उपयोग करते चलो , जरूरी नही है की हर व्यक्ति अनिल अंबानी जितना भौतिक सुख सुविधाओं से लिप्त बने । लेकिन विचार करने वाली बात ये है कि पर उन पर भी सैकड़ो करोड़ का कर्ज है इसलिए "खुश तो वो भी कुछ खास नही है।"

-विकास शर्मा

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आज खो रहा।

अपनो से रो रहे है कुछ ,
अपनो को रो रहे है ;
तलाश कर रहे खुशी ,
खुशी को खो रहे है। 

रत्ती भर समझ नही ,
बड़े सब हो रहे है ;
सवांरने चले है कल ,
पर आज खो रहे है ।

-विकास शर्मा

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अब जीत आप की होगी । (भाग-2)

क्या आपने कभी अपनी आँखों की कार्यप्रणाली पर ध्यान दिया है ? आपकी आंखें एक समय पर एक निश्चित दूरी पर रखी वस्तु को ही फोकस करती है, उसके आगे और पीछे के चित्र को धुंधला कर देती है । आप भी यही करे, एक समय पर एक कार्य पर ध्यान केंद्रित करे। तभी आप मन वांछित फल प्राप्त कर पाएंगे । 
क्या आपने कभी चाय वाले को चाय के ग्लास उठाते हुए देखा है ? वह एक हाथ से कई ग्लास पकड़ लेता है, पर जिस तरह से वो एक ग्लास में एक उंगली डाल कर एक साथ कई ग्लासो पर पकड़ बनाता है क्या उस पकड़ को मजबूत पकड़ कहा जायेगा ? नही...  पकड़ तब मजबूत कहलाएगी जब उसने एक हाथ से एक ग्लास को पकड़ा होगा । आप भी इसी तरह कार्य करे ; एक बार मे एक काम पर ध्यान केंद्रित करें एवं उस पर पकड़ बनाये । यह ध्यान केन्द्रण की प्रकिया आप को स्वयं के प्रयासों से ही सीखनी होगी यह कोई अन्य आप को नही सिखा सकता । खुद कोशिश करे इसे सीखने की , आज नही तो कल आप इसे जरूर सीख जायँगे और जब आप  इसे सीख जाएंगे बस "फिर जीत आप की होगी।"

-विकास शर्मा

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आप को सुलझना होगा ।

क्या उलझे हुए धागे सिलाई में उपयोग होते है ? नही! धागा वही काम का होता है जो सरल होता है। उलझे हुए धागे कचरा कहलाते है । आप भी दुनिया की नजरों में कचरे के समान ही कहलायेंगे यदि आप उलझे रहेंगे । अपने स्वयं  के जीवन को देखिए , समझिये की उलझने कहाँ और किस वजह से है , उन्हें सुलझाने की कोशिश कीजिये। क्यो की ये उलझने आप को अपने लक्ष्य तक पहुचने में बाधित कर रही है । अगर आप सच मे अपने लक्ष्य को पाना चाहते है तो आप को इन बाधाओ  को पार करना ही होगा , क्यो की आप के पास कोई ओर रास्ता ही नही है । अपने लक्ष्य को पाने के लिए , उलझन सुलझाने की प्रक्रिया से अब आप को उलझना होगा ; "आप को सुलझना होगा ।"

-विकास शर्मा

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अब जीत आप की होगी ।

क्या होता अगर वर्ल्ड कप के पहले धोनी हार मान लेते, क्या होता अगर स्वतंत्रता मिलने के पहले महात्मा गांधी हार मान लेते, क्या कभी इंसान चाँद पर पहुँच पाता अगर नासा के लोग हार मान लेते ?  सफलता हमसे दूर नही है वो हमारे पास ही है बस एक ताला डले हुए बक्से में बंद है हमे उस ताले की चाबी ढूंढनी है । क्या होगा अगर हम किसी ताले को गलत चाबी से खोले , क्या वो खुलेगा? खोल के देखिए , आप कितनी भी मेहनत कर ले वो नही खुलेगा । अब उसी ताले में सही चाबी लगा के देखिए , क्या हुआ ? फट से खुल गया ना... मेहनत लगी क्या ? नही ना ! यही सफलता का मूल मंत्र है आप को सही चाबी ढूढनी होगी । जीवन ऐसा ही है ,यहाँ सिर्फ मेहनत से काम नही चलेगा आप को सही चीजे करनी होगी । आप को ये देखना होगा कि आप के प्रयासों में कमी कहाँ है  ।  डॉक्टर भी इसी तरह काम करते है वो आप का ब्लड टेस्ट करते है और देखते है कि किस चीज की कमी है ,जिस चीज की कमी होती है उसे दवाइयों से पूरी कर देते है, आप ठीक हो जाते है । आप को भी अपने लक्ष्य को पाने के लिए, सफल होने के लिए इसी प्रकार काम करना होगा । आप सोचें और समझे की आप के प्रयासों को कमी कहाँ है ,जो कमियों है उन्हें पूरा करे । जैसे ही आप उन कमियों को पूरा कर लेंगे , बस "फिर जीत आप की होगी।"

-विकास शर्मा

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